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Title: दार्शनिकी शिक्षाधारा / Darshaniki Shikshadhara
Other Titles: Darshaniki Shikshadhara
Authors: Balaji / बालाजी, Ramchandrul / रामचन्द्रुल
Keywords: Education - Philosophy
Philosophy - Education
Sanskrit Books
SSSU Books
Shree Somnath Sanskrit University Books
Education Research Trend
Issue Date: 1-Jun-2013
Publisher: श्रीसोमनाथ संस्कृत युनिवर्सिटी, वेरावल / Shree Somnath Sanskrit University, Veraval
Abstract: शीर्षकम् - दार्शनिकी शिक्षाधारा :- संस्कृतसारांशः – भारतीयदर्शनानि शिक्षाशास्त्रस्याधारः वर्तन्ते । भारतीयदर्शनानां सिद्धान्तानामनुपालनेन शिक्षाक्षेत्रे अनेकानि सकारात्मकानि परिवर्तनानि सञ्जातानि । डॉ. रामचन्द्रुल बालाजी महोदयेन प्रणीतं पुस्तकमिदं भारतीयदर्शनानुगुणं शिक्षायाः प्रत्येकं पक्षाः कीदृशाः भवेयुरिति प्रकटयति ।पुस्तकेऽस्मिन् 1. भारतीयदर्शनानि शिक्षा च, 2. वेदे शिक्षातत्त्वम्, 3. श्रीमद्भगवद्गीतायां शिक्षातत्त्वम्, 4. साङ्ख्ये शिक्षातत्त्वम्, 5. न्यायदर्शने शिक्षातत्त्वम्, 6. वेदान्ते शिक्षातत्त्वम्, 7. जैनदर्शने शिक्षातत्त्वम्, 8. बौद्धशिक्षातत्त्वम्, 9. भारतीयशिक्षाशास्त्रिणः इति नामकाख्याः नव अध्यायाः सन्ति । एतेषु अध्यायेषुआस्तिक-नास्तिकभेदेन द्वयोः भारतीयदर्शनयोः स्वरूपं, शिक्षायाः अर्थः, शिक्षाशास्त्र-दर्शनयोः सम्वन्धः चेति विषयान् उपवर्ण्य, लेखकेन वेदानाम्, उपनिषदां, श्रीमद्भगवद्गीतायाः, विविधानां दर्शनानां, भारतीयशिक्षाशास्त्रिणाञ्चानुगुणं शिक्षायाः परिभाषा, शिक्षायाः उद्देश्यानि, विभिन्नावस्थासु पाठ्यचर्या, ज्ञानप्रक्रिया, शिक्षाकेन्द्राणि, शिक्षणविधयः,छात्रस्वरूपं, गुरोः स्वरूपं, गुरु-शिष्ययोः सम्वन्धः, बोधनरीतयः, प्रायोगिकप्रणाली, मिथ्याज्ञानस्य कारणानि, अनुशासनं, शिक्षायाः मूल्यानि, इत्यादयः विषयाः निरूपिताः । एतदर्थं पुस्तकमिदम् अधिगमकर्तृभ्यःअध्यापकेभ्यश्च महते उपकाराय अस्ति । हिन्दीसारांश – भारतीयदर्शन शिक्षाशास्त्र का आधार है । भारतीयदर्शन सिद्धान्तों के अनुपालन से शिक्षाक्षेत्र में अनेक सकारात्मक परिवर्तन हुए है । डॉ. रामचन्द्रुल बालाजी महोदय के द्वारा प्रणीतयह पुस्तक भारतीयदर्शन के अनुरूप शिक्षा के प्रत्येक पक्षों पर विचार प्रकट करती है । प्रस्तुतपुस्तक में 1. भारतीयदर्शनानि शिक्षा च, 2. वेदे शिक्षातत्त्वम्, 3. श्रीमद्भगवद्गीतायां शिक्षातत्त्वम्, 4. साङ्ख्ये शिक्षातत्त्वम्, 5. न्यायदर्शने शिक्षातत्त्वम्, 6. वेदान्ते शिक्षातत्त्वम्, 7. जैनदर्शने शिक्षातत्त्वम्, 8. बौद्धशिक्षातत्त्वम्, 9. भारतीयशिक्षाशास्त्रिणः नामक नौ अध्याय हैं । इन अध्यायों में आस्तिक और नास्तिक भारतीयदर्शनों का स्वरूप, शिक्षा का अर्थ तथा शिक्षाशास्त्र और दर्शन में परस्पर सम्वन्ध वर्णित है । प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता, विविध दर्शन और भारतीयशिक्षाशास्त्रियों के अनुसार शिक्षा की परिभाषा, शिक्षा के उद्देश्य, विभिन्नावस्थाओं में पाठ्यचर्या, ज्ञानप्रक्रिया, शिक्षाकेन्द्र, शिक्षणविधियाँ, छात्रस्वरूप, गुरु का स्वरूप, गुरु और शिष्य का परस्पर सम्वन्ध, बोधनरीति, प्रायोगिकप्रणाली, मिथ्याज्ञान के कारण, अनुशासन, शिक्षा के मूल्य, इत्यादि विषयों को निरूपित किया है । एतदर्थ यह पुस्तक अधिगमकर्ताओं औरअध्यापकों के लिएअत्यधिकउपकारकहै ।
Description: This Book Original Published in Sanskrit Language author by Ramchandrul Balaji. The Pages of the Book are vi, 160 p. This Book Also Available in Print Format. The Price of this Book is Rs.100=00 (One Hundred Indian Rupees). If any Person interested to Purchase this Book kindly contact "SSSU Publication Sales Unit" on salespub@sssu.ac.in. Individual can get 20% Discount + Postage and Handling Charge. Institutions Get 30% Discount (need a request on Institution's letterhead) + Postage and Handling Charge. Vendor/Book Sellers Get 40% Discount (need a request on their firm's letterhead) + Postage and Handling Charge
URI: http://jyotih.infibnet.ac.in:8080/xmlui/handle/123456789/97
ISBN: 978-93-83097-05-0
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